गर्भ धारण करना,गर्भ की रक्षा करना,सुखपूर्वक प्रसव होना एवं रजोधर्म का होना आदि मंत्र है | किसी भी कारण से गर्भ ठहर नहीं रहा हो,गर्भ गिर जाने का खतरा हो,इनको रोकने के लिए अनेक मंत्र हैं ।
नियोग-विधि से गर्भ धारण करना प्राचीन काल से प्रचलित है । यदि किसी का गर्भ नहीं ठहर रहा है, तो मंत्रो द्वारा पर्यत्न सफलतापूर्वक सिद्ध हो जायेगा ।
इसी तरह गर्भ के शिशु की रक्षा एवं गर्भपात रोकने के लिए मंत्रो का प्रयोग हुआ है । ये सभी मंत्र अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाते हैं ।
गर्भ की रक्षा के बाद प्रसव के समय स्त्री को बहुत दर्द होता है ,तो उस दर्द को के लिए अनेक मंत्रो का प्रयोग किया जा सकता है,जिससे प्रसव सुखपूर्वक हो सके ।
गर्भ रक्षा मंत्र
'ॐ पतुहुभविया नारी स्थिर गर्भपिजायते ।'
प्रयोग - विधि -
जल का सात बार इस मंत्र से अभिमंत्रित कर स्त्री को पिला दें । यदि गर्भ बार-बार गिरता है तो ऐसे में गर्भ नहीं गिरेगा, गर्भ की रक्षा होगी ।
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'ॐ पतुहुभविया नारी स्थिर गर्भपिजायते ।'
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जल का सात बार इस मंत्र से अभिमंत्रित कर स्त्री को पिला दें । यदि गर्भ बार-बार गिरता है तो ऐसे में गर्भ नहीं गिरेगा, गर्भ की रक्षा होगी ।
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